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😈 पीठ पीछे कौन क्या नहीं बोलता है 😏 🤜 फर्क nahi ❌ पड़ता सामने ✔ 🗣 किसी का मुंह nahi खुलता काफी 😎

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हमारे समाज में पीठ पीछे बातें करना एक सामान्य बात बन गई है, लेकिन जब वही बातें सामने आती हैं, तो सबकी जुबानें चुप हो जाती हैं। इस लेख में, हम इस पर चर्चा करेंगे और कुछ बेहतरीन शायरी पेश करेंगे जो इस मुद्दे की गहराई को छूने में आपकी मदद करेगी – 😈 पीठ पीछे कौन क्या नहीं बोलता है 😏 🤜 फर्क nahi ❌ पड़ता सामने ✔ 🗣 किसी का मुंह nahi खुलता काफी 😎

 

पीठ पीछे की बातें और सामने की सच्चाई

सच्चाई यह है कि पीठ पीछे बातें करना आसान होता है, लेकिन सामने आकर सच का सामना करना कठिन होता है। पीठ पीछे की बातें अक्सर दूसरों की असुरक्षाओं और कमजोरियों को उजागर करती हैं, लेकिन जब वही बातें सामने आती हैं, तो लोग चुप्पी साध लेते हैं। यह उस पल की पहचान है जब शब्द अपनी ताकत खो देते हैं और सच्चाई उभरकर सामने आती है।

 

सामने की स्थिति में किसी का मुंह नहीं खुलता

पीठ पीछे की बातें और आलोचनाएं, सामने आने पर अपनी वास्तविकता को खो देती हैं। जब व्यक्ति सामने होता है, तो वह अपनी जुबान की ताकत को पूरी तरह से खो देता है। यही कारण है कि कई लोग सामने आने पर चुप्पी साध लेते हैं और अपनी बातें छुपाने की कोशिश करते हैं।

 

शायरी: 😈 पीठ पीछे कौन क्या नहीं बोलता है 😏 🤜 फर्क nahi ❌ पड़ता सामने ✔ 🗣 किसी का मुंह nahi खुलता काफी 😎

 

पीठ पीछे कहे जो भी हों, सामने सब चुप ही रह जाते,
ज़ुबां की ताकत खो जाती है, जब सच्चाई का सामना होता है।

 

😈 पीठ पीछे कौन क्या नहीं बोलता है 😏 🤜 फर्क nahi ❌ पड़ता सामने ✔ 🗣 किसी का मुंह nahi खुलता काफी 😎


बातें पीठ पीछे की होती हैं, सामने सब बोलने से डरते हैं,
अपने शब्दों की कीमत समझो, जब सामने कोई मुँह खुलता है।

 


दिल से दिल की बात हो, तो वो लम्हे खास बन जाते हैं,
वरना शब्दों की दुनिया में, सब कुछ बस अफसाने रह जाते हैं।

 

 

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मोहब्बत की राह में अक्सर, दिल ही दिल को समझाता है,
ये फासले भी प्यार के, दिल को और करीब लाते हैं।

 


जिंदगी की किताब में, हर दिन नया अध्याय होता है,
हर खुशी और ग़म में, एक नया सवेरा छुपा होता है।

 


दर्द के आलम में भी हँसी बिखेर दी, ये जिंदगी का सफर है अजीब,
हर मोड़ पर मिलती है खुशियाँ, दर्द के साथ ही सही।

 


दोस्ती की जो गर्मी है, वो दिल को हमेशा राहत देती है,
सच्चे दोस्त कभी नहीं बदलते, वक्त चाहे जो भी बीत जाए।


चाँदनी रातों में गुमसुम से, चाँद से दिल की बातें करते हैं,
ये लम्हे अक्सर याद आते हैं, दिल के हर कोने में बसी यादें रहते हैं।


जिन्दगी के रंगमंच पर, हम सब कलाकार बन जाते हैं,
अपने अपने रोल में, खुशियों और ग़म की कहानी गाते हैं।


पीठ पीछे जो बातें बनाते हैं, वो खुद ही अपनी इज्जत खोते हैं,
सामने आए तो चुप रहते हैं, जैसे सबक उनकी आँखों में बसते हैं।


मोहब्बत की चाशनी में डूबा दिल, हर ग़म को मीठा कर जाता है,
लेकिन जब दिल टूटता है, तो ये ही चाशनी विष बन जाती है।


पीठ पीछे छुपा हुआ सच सामने आता है, सभी के मुंह पर ताले लग जाते हैं,
सच्चाई की रौशनी में सबकी जुबां, बस सच्चाई से डर जाती है।


जब आँखों से बात हो, शब्दों की ज़रूरत नहीं होती,
दिल की भाषा समझी जाती है, बिना किसी आवाज के।

😈 पीठ पीछे कौन क्या नहीं बोलता है 😏 🤜 फर्क nahi ❌ पड़ता सामने ✔ 🗣 किसी का मुंह nahi खुलता काफी 😎


जिन्दगी के हर मोड़ पर, सबक सिखाने वाले लम्हे होते हैं,
हर खुशी और ग़म में, खुद को तलाशने के मौके होते हैं।


वफा की राह पर चलना आसान नहीं होता, लेकिन जब सफर तय कर लिया,
तब हर मुश्किल और ग़म, खुद ब खुद दूर हो जाते हैं।


दिल से निकली हर बात, दिल तक पहुँचती है,
सच्चे इश्क की कश्ती, कभी किनारे तक नहीं पहुँचती है।


जिन्दगी की किताब के हर पन्ने पर, प्रेम की कहानियाँ छुपी होती हैं,
हर दिल की धड़कन में, कहीं न कहीं प्यार की छाप होती है।

 

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Conclusion

पीठ पीछे की बातें और सामने की चुप्पी इस बात को दर्शाती है कि लोग अपनी असुरक्षाओं और कमियों को छुपाने की कोशिश कर रहे हैं। जब सच्चाई का सामना होता है, तो जुबान की ताकत चुप्पी में बदल जाती है। इस ब्लॉग में पेश की गई शायरी हमें सिखाती है कि हमें अपने शब्दों और कर्मों की जिम्मेदारी सामने आने पर भी निभानी चाहिए, न कि केवल पीठ पीछे।

यदि आप भी इसी तरह की शायरी (😈 पीठ पीछे कौन क्या नहीं बोलता है 😏 🤜 फर्क nahi ❌ पड़ता सामने ✔ 🗣 किसी का मुंह nahi खुलता

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